आज भद्रा कब तक है?
हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य को करने के लिए शुभ मुहूर्त का देखा जाना अनिवार्य है। इसलिए जब कोई शुभ मुहूर्त देखा जाता है। तो उसमें भद्रा वास विचार किया जाता है। की आज भद्रा कब तक है? इसलिए आज भद्रा काल के बारे में जानेंगे।
भद्रा कौन है?
यहां पर हम भद्रा वास विचार के बारे में जानेंगे। कि भद्रा कौन है? और किसलिए इनका इतना महत्व है। तो अगर बात करें धार्मिक दृष्टिकोण की तो यहां पर मान्यता है कि भद्रा भगवान सूर्य देव की पुत्री और शनि देव की बहन है। यह काफी सुंदर थी। लेकिन यह काफी कठोर स्वभाव की थी। इसलिए इनके स्वभाव को नियंत्रण में करने के लिए इनको पंचांग का एक प्रमुख अंग जोकि विष्टि कारण के रूप में मान्यता दी गई है।
हमारे ज्योतिष के अनुसार भद्रा काल सदैव अशुभ नहीं रहता है। इसलिए कुछ ऐसे भी कार्य है जो भद्रा काल में किया जा सकता है।
तो चलिए जान लेते हैं कौन से ऐसे कार्य हैं? जो भद्रा काल में नहीं किया जाता है। और वह कौन से ऐसे कार्य हैं? जो भद्रा काल में किया जा सकता है।
भद्रा काल के दौरान नही किये जाने वाले कार्य
जब भद्रा काल प्रारंभ हो तो उस समय कुछ कार्य को नहीं किया जाना चाहिए। क्योंकि उन कार्यों को करना वर्जित रहता है। तो वह कार्य हैं। कोई भी शुभ कार्य, कोई नया व्यवसाय का प्रारंभ करना, कोई शुभ यात्रा करना, अपने नये घर का गृह प्रवेश करना, और इसके साथ ही हिंदू संस्कार करना जिसमें मुंडन, विवाह आदि लगभग सभी शुभ कार्य सम्मिलित हैं। इसके साथ ही रक्षाबंधन और मांगलिक कार्य को भी नहीं किया जाता है। यह भद्रा वास विचार के अनुसार है।
भद्रा काल के दौरान किये जाने वाले कार्य
अब हम जानेंगे की भद्राकाल जब प्रारंभ हो जाता है। तब उस समय कौन से ऐसे कार्य हैं जिसको किया जा सकता है। क्योंकि इन कार्यों का प्रकृति अशुभ होता है। इसलिए इन कार्यों को किया जा सकता है। तो चलिए जानते हैं वह कौन से कार्य हैं। जो भद्रा काल के दौरान किया जा सकता है। अगर आपको किसी व्यक्ति पर मुकदमा प्रारंभ करना है, ऑपरेशन कराना है, किसी अस्त्र-शस्त्र का उपयोग करना है, और उसके साथ ही अपने शत्रु पर आक्रमण करना हो, या घोड़ा, भैंस, ऊंट से संबंधित कार्य करना हो या आग से संबंधित कार्य हो तो आप उसे भद्रा काल के दौरान प्रारंभ कर सकते हैं। यहां तक कि आप भद्रा काल के दौरान किसी स्त्री प्रसंग करना भी कर सकते हैं।
ऐसी मान्यता है कि भद्रा काल के दौरान अगर यह कार्य किए जाएं इसमें साधक को मनवांछित फल प्राप्त होता है।
भद्रा काल नवंबर 2023
प्रारंभ | समाप्त |
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दिनांक – 4 नवंबर 2023 वार – शनिवार समय – रात्रि 12:26 पर | दिनांक – 4 नवंबर 2023 वार – शनिवार समय – दोपहर 1:10 पर |
दिनांक – 7 नवंबर 2023 वार – मंगलवार समय – शाम 6:50 पर | दिनांक – 8 नवंबर 2023 वार – बुधवार समय – सुबह 7:55 पर |
दिनांक – 11 नवंबर 2023 वार – शनिवार समय – दोपहर 1:13 पर | दिनांक – 12 नवंबर 2023 वार – रविवार समय – रात्रि 1:42 पर |
दिनांक – 16 नवंबर 2023 वार – गुरुवार समय – रात्रि 12:21 पर | दिनांक – 17 नवंबर 2023 वार – शुक्रवार समय – सुबह 11:38 पर |
दिनांक – 19 नवंबर 2023 वार – रविवार समय – प्रातः 5:37 पर | दिनांक – 20 नवंबर 2023 वार – सोमवार समय – शाम 4:26 पर |
दिनांक – 23 नवंबर 2023 वार – गुरुवार समय – सुबह 9:27 पर | दिनांक – 23 नवंबर 2023 वार – गुरुवार समय – रात्रि 8:21 पर |
दिनांक – 26 नवंबर 2023 वार – रविवार समय – दोपहर 3:15 पर | दिनांक – 27 नवंबर 2023 वार – सोमवार समय – रात्रि 2:47 पर |
दिनांक – 30 नवंबर 2023 वार – गुरुवार समय – रात्रि 2:04 पर | दिनांक – 30 नवंबर 2023 वार – गुरुवार समय – दोपहर 2:21 पर |
भद्रा काल दिसंबर 2023
प्रारंभ | समाप्त |
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दिनांक – 3 दिसंबर 2023 वार – रविवार समय – शाम 6:42 पर | दिनांक – 4 दिसंबर 2023 वार – सोमवार समय – प्रातः 6:44 पर |
दिनांक – 7 दिसंबर 2023 वार – गुरुवार समय – दोपहर 1:57 पर | दिनांक – 8 दिसंबर 2023 वार – शुक्रवार समय – रात्रि 2:50 पर |
दिनांक – 11 दिसंबर 2023 वार – सोमवार समय – प्रातः 5:44 पर | दिनांक – 11 दिसंबर 2023 वार – सोमवार समय – शाम 5:42 पर |
दिनांक – 16 दिसंबर 2023 वार – शनिवार समय – सुबह 11:54 पर | दिनांक – 16 दिसंबर 2023 वार – शनिवार समय – रात्रि 10:53 पर |
दिनांक – 19 दिसंबर 2023 वार – मंगलवार समय – दोपहर 3:59 पर | दिनांक – 20 दिसंबर 2023 वार – बुधवार समय – रात्रि 2:49 पर |
दिनांक – 22 दिसंबर 2023 वार – शुक्रवार समय – रात्रि 8:40 पर | दिनांक – 23 दिसंबर 2023 वार – शनिवार समय – सुबह 7:49 पर |
दिनांक – 26 दिसंबर 2023 वार – मंगलवार समय – प्रातः 5:07 पर | दिनांक – 26 दिसंबर 2023 वार – मंगलवार समय – शाम 5:08 पर |
दिनांक – 29 दिसंबर 2023 वार – शुक्रवार समय – शाम 7:35 पर | दिनांक – 30 दिसंबर 2023 वार – शनिवार समय – सुबह 8:22 पर |