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नामकरण, जातर्कम संस्कार मुहूर्त कब है 2023 | नामकरण का शुभ मुहूर्त कब है | Namkaran Muhurat

आज हम नामकरण संस्कार मुहूर्त के बारे में जानेंगे। अर्थात बच्चों का नाम रखने के संस्कार को नामकरण संस्कार कहा जाता है। अगर आपको भी नामकरण मुहूर्त के बारे में जानना है। तो आप उसको देख सकते हैं। यहां पर आपको पंचांग द्वारा निकाला गया शुभ मुहूर्त दे रहे हैं। जिसमें आप अपने बच्चे का नामकरण कर सकते हैं। यहां पर नामकरण संस्कार के साथ जातकर्म संस्कार भी दिया गया है। आप नामकरण संस्कार करने के मुहूर्त पर ही जातकर्म संस्कार को भी कर सकते हैं।

यहां पर सभी मुहूर्त काशी के सूर्योदय के समय अनुसार दिया गया है।

नामकरण, जातर्कम संस्कार मुहूर्त नवंबर 2023

दिनांकवार
2 नवंबर 2023गुरुवार
3 नवंबर 2023शुक्रवार
10 नवंबर 2023शुक्रवार
23 नवंबर 2023गुरुवार
29 नवंबर 2023बुधवार

नामकरण, जातर्कम संस्कार मुहूर्त दिसंबर 2023

दिनांकवार
8 दिसंबर 2023शुक्रवार
18 दिसंबर 2023सोमवार
22 दिसंबर 2023शुक्रवार

नामकरण संस्कार मुहूर्त कैसे देखें?

अब हम नामकरण संस्कार मुहूर्त के बारे में विस्तार में विस्तार से बता रहे है। जिससे आप स्वयं नामकरण संस्कार के लिए एक शुभ मुहूर्त चुनाव कर सकते हैं। शुभ मुहूर्त को निकालने के लिए आपके पास पंचांग का होना अति आवश्यक है। जिससे आप तिथि, वार, नक्षत्र आदि के बारे में आसानी से जान सकते हैं।

नामकरण संस्कार को स्वयं देखने के लिए नक्षत्र, वार, तिथि, लग्न आदि का ज्ञान होना अति आवश्यक है। इसलिए यहां पर नक्षत्र, वार, तिथि, लग्न के बारे में बताया जा रहा है। इसको आप ध्यान से समझे जिससे आप मुहूर्त का चुनाव कर पाएंगे।

नक्षत्र – नामकरण संस्कार करने के लिए सबसे शुभ नक्षत्र मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा, तीनों उत्तरा, रोहिणी, हस्त, पुनर्वसु, पुष्य, अश्विनी, अभिजीत, स्वाति, श्रवण, धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र को माना गया है।

वार – नामकरण संस्कार के लिए सबसे शुभ वार सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार को माना गया है। इन वारों में आप अपने बच्चे का नामकरण कर सकते हैं।

तिथि – नामकरण संस्कार के लिए शुभ तिथि प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी को माना गया है।

लग्न – नामकरण संस्कार के लिए शुभ लग्न मेष, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक धनु और मकर शुभ लग्न है।
वर्जित – नामकरण संस्कार को भद्रा या कोई अशुभ योग में नहीं करना चाहिए।

नामकरण संस्कार का महत्व क्या है?

Namkaran muhurat (नामकरण संस्कार मुहूर्त ) – हमारे हिंदू धर्म में 16 संस्कार होते हैं। इन 16 संस्कारों में से एक संस्कार नामकरण संस्कार भी होता है। नामकरण संस्कार में बच्चों के जन्म के बाद उनका नाम रखा जाता है।

नामकरण संस्कार को करने के लिए बच्चे के जन्म के समय से लेकर जब बच्चा 11 दिन का हो जाता है। तब उसका नामकरण संस्कार किया जाता है। नामकरण संस्कार को हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण संस्कार के रूप में माना जाता है। क्योंकि नामकरण संस्कार से ही एक बच्चे को उसका पहचान मिलता है।

नामकरण संस्कार में बच्चे का नाम रखा जाता है, जोकि शास्त्र और पुराण के अनुसार शुभ समय में किया जाता है। लेकिन अगर बच्चे का जन्म गण्डमूल नक्षत्र में होता है। तब उस बच्चे का नामकरण उसके जन्म के समय से लेकर 27 दिन के बाद किया जाता है।

क्योंकि नामकरण करने से पहले गण्डमूल नक्षत्र को शांति किया जाता है। इसलिए अगर आप जब भी अपने बच्चे का नामकरण करें तो किसी ज्योतिषी या पंडित के सलाह से ही करें। क्योंकि शुभ कार्य को शुभ समय पर करने से ही उसके शुभ परिणाम प्राप्त किया जा सकता है।

गंडमूल दोष या नक्षत्र किसे कहते हैं?

नामकरण मुहूर्त – अगर बात करते हैं गंड मूल दोष के बारे में तो इसे वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुछ नक्षत्र को गंड मूल नक्षत्र की श्रेणी में रखा गया है।

क्योंकि गंड मूल नक्षत्र को काफी संवेदनशील माना जाता है। यह नक्षत्र चक्र और राशि चक्र इन दोनों क्षेत्र मैं गंड मूल नक्षत्र पर संधि होता है।

और इस नक्षत्र को केतु और बुध के नक्षत्र कहते हैं। और जब केतु का नक्षत्र समाप्त हो जाता है तब बुध का नक्षत्र प्रारंभ होता है। इसी स्थिति को गंड मूल नक्षत्र भी कहा जाता है।

नामकरण के लिए मुहूर्त क्यों आवश्यक है?

अगर नामकरण संस्कार के बारे में बात करें तो नामकरण संस्कार किसी भी दिन किया जा सकता है। लेकिन इसको शुभ समय में करना ही बेहतर होता है।

क्योंकि कुछ ऐसी तिथियां होती हैं जिसमें नामकरण का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। यह तिथियां है चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी।

तो वहीं शुभ नक्षत्र की बात करें तो इसमें मृगशिरा, रोहिणी, श्रवण, अश्विनी, अनुराधा, शतभिषा, चित्रा, स्वाति, पुष्य, रेवती, हस्त आदि नक्षत्र है।

लेकिन अगर शिशु का जन्म किसी अशुभ नक्षत्र में भी हो जाता है। तो वह नक्षत्र शिशु के नामकरण के लिए शुभ माना जाता है।

इसलिए आप जब भी शिशु का नामकरण करें तो उसमें आप कुंडली, वार, तिथि और नक्षत्र पर खास विचार करें।

और उसके साथ ही शिशु के जन्म का माह और राशि पर भी विचार करें।

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यह article केवल जानकारी purpose के लिए बनाया गया है। इसलिए किसी भी चीज का इस्तेमाल करने से पहले विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें। यह आपकी जिम्मेदारी है।

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