अक्षय नवमी कार्तिक शुक्ल नवमी को अक्षय नवमी के नाम से या आंवला नवमी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि, इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा और दान करने से विशेष लाभ मिलता है।
अक्षय नवमी का महत्व क्या है?
अक्षय नवमी का विशेष महत्व माना जाता है। क्योंकि माना जाता है, कि अक्षय नवमी नवमी युगादि तिथि है। इसी दिन द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था। यह नवमी अक्षय तिथि है। इसलिए इसको अक्षय नवमी कहते हैं।
अक्षय नवमी के दिन जो व्यक्ति पूजा-पाठ या दान करता है। वह सभी दान अक्षय हो जाते हैं। अक्षय नवमी के दिन गो, पृथ्वी, सोना, वस्त्र, आभूषण तथा 9 फल आदि के दान करने से ब्राह्मण हत्या जैसे पाप भी खत्म हो जाते हैं।
अक्षय नवमी के पूजा का सामान क्या-क्या होता है?
अक्षय नवमी के दिन एक लोटा जल, कच्चा दूध, मोली, कच्चा सूत, एक ब्लाउज पीस आंवले रंग का, सुहाली, गुड, बतासा, आंवला, ऋतु फल, कुमकुम, चावल, पुष्प, दीपक, बत्ती, घी, माचिस, अगरबत्ती, कपूर, कढावे की चीजें 1-1 नाग, रुपया आदि चीजें होती हैं।
अक्षय नवमी के पूजा की विधि क्या है?
अक्षय नवमी के दिन समस्त परिवार नित्य क्रिया करने के बाद, शुद्ध होकर वस्त्र आभूषण पहनकर आंवला के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे, और संकल्प करें। शुद्ध मन से आंवला वृक्ष की पूजा करें। आंवला वृक्ष की जड़ में दूध और जल समर्पित करें। आंवला वृक्ष में कच्चा सूत लपेट ते हुए 8 या 108 बार परिक्रमा करें।
परिक्रमा करते समय 8 या 108 नारियल, फल, मूंगफली, सुपारी, लोंग, आदि कोई भी चीज जो आपके सामर्थ अनुसार हो सके। उसको चढ़ाना चाहिए और कपूर से आरती करते हुए 8 परिक्रमा करना चाहिए।
इसके बाद कपूर या घी की बत्ती से आरती करना चाहिए। आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर कथा सुनना चाहिए। अगर किसी व्यक्ति को आंवला का वृक्ष ना मिल पाए, तो उसे आंवला की डाली लेकर तुलसी मां के पास रोककर पूजा करना चाहिए।
आंवला की पूजा करने के बाद आंवला वृक्ष के नीचे कम से कम एक ब्राम्हण को भोजन कराना चाहिए। ब्राह्मण को दक्षिणा, साड़ी या ब्लाउज देना चाहिए। इसके बाद समस्त परिवार एक साथ बैठकर आंवला वृक्ष के नीचे भोजन करना चाहिए। अगर आंवला वृक्ष के नीचे भोजन करना संभव नहीं हो, तो उस समय मिठाई खाना चाहिए। उसके बाद वहां से आप जाकर कहीं और भोजन कर सकते हैं।
विशेष – अक्षय नवमी के दिन आंवला को जल में डालकर स्नान करना। आंवला खाना और दूसरों को खिलाना। अच्छा माना जाता है। इस दिन आप आंवले का दान भी कर सकते हैं।
अक्षय नवमी के दिन एक दिन का व्रत या नवमी से पूर्णिमा तक 7 दिन का व्रत किया जाता है। आंवला वृक्ष की पूजा करने के बाद घी से भरा हुआ पात्र भी दान किया जाता है।