Amla Navami – यहां पर अक्षय नवमी के दिन आंवले का क्या महत्व होता है? इसके बारे में जानकारी प्रदान किया गया है। अगर आप अक्षय नवमी के महत्व और पूजा के बारे में जानना चाहते हैं। या पूजा का सामान क्या-क्या होता है? इसके बारे में जानना चाहते हैं। तो यहां पर आप पढ़ सकते हैं। यहां पर केवल अक्षय नवमी के दिन आंवला का क्या महत्व होता है। इसके बारे में जानकारी प्रदान किया गया है।
इस वर्ष अक्षय नवमी (आंवला नवमी) कब है?
इस वर्ष अक्षय नवमी या आंवला नवमी 21 नवंबर 2023 दिन मंगलवार को पड़ेगा।
अक्षय नवमी (Amla Navami) के दिन आंवला का क्या महत्व है?
हमारे पद्म पुराण में अक्षय नवमी के दिन आंवला के वृक्ष का महत्व दिया गया है। उसने बताया गया है, कि आंवला का फल सब लोक में प्रसिद्ध और उत्तम है। यह वृक्ष लगाकर स्त्री और पुरुष दोनों जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाते हैं। यह एक पवित्र फल है। जो भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला है।
आंवला के फल का भक्षण से मनुष्य के सब पाप खत्म हो जाते हैं। भगवान शंकर ने भी कार्तिक में आंवले के महत्व को विस्तार में समझाया और बताया है। आंवला का सेवन करने से आयु बढ़ता है। आंवले का जल ग्रहण करने से धर्म संचय होता है।
आंवला का पानी से स्नान करने से दरिद्रता दूर होती हैं। सभी प्रकार के सुख और समृद्धि मिलता है। जिस घर में आंवला होता है। उस घर में दैत्य और राक्षस नहीं होते हैं। एकादशी को अगर एक आंवला भी मिल जाए। तो भी उसका महत्व गंगा, गया, काशी, पुष्कर आदि तीर्थों से ज्यादा होता है।
शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के एकादशी को जो व्यक्ति आंवले के पानी से स्नान करता है। उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। वहां व्यक्ति विष्णुलोक में सम्मान प्राप्त करता है। जो व्यक्ति आंवले के रस से सदा अपना बाल धोता है। वह व्यक्ति दोबारा जन्म नहीं पाता है। आंवले का दर्शन, स्पर्श करना या केवल नाम लेने से भी भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
जहां पर भी आंवला रहता है। वहां पर भगवान विष्णु निवास करते हैं। उनके साथ ही उस घर में ब्रह्मा देव और लक्ष्मी माता का भी स्थाई निवास रहता है। इसलिए घर में आंवले का वृक्ष होना अनिवार्य है। जो आंवले के मुरब्बे का दान देते हैं। उन पर भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते हैं।
आंवला को सेवन करने वाला व्यक्ति को योगी, मुनि, ऋषि, ज्ञानी जैसे गति प्राप्त होता है। लेकिन वही हर रविवार और सप्तमी तिथि को आंवले का फल दूसरों को नहीं देना चाहिए। संक्रांति के दिन, शुक्रवार, प्रतिपदा, छठ, नवमी, अमावस्या को आंवले का दूर से ही परित्याग करना चाहिए।
आंवले के स्पर्श से मृत व्यक्ति को भी भगवद् धाम मिलता है। जो धार्मिक व्यक्ति आंवले का रस शरीर पर लगाकर स्नान करता है। उसको अश्र्वमेधयज्ञ का फल मिलता है।