तिथि का ज्ञान हो जाने के बाद अब हमने नक्षत्र का ज्ञान होना चाहिए। क्योंकि जिस प्रकार पृथ्वी की दूरी मील अथवा मीटर, किलोमीटर में नापी जाती है। उसी प्रकार आकाश-मंडल की दूरी को नापने के लिए नक्षत्र का इस्तेमाल किया जाता है। तो नक्षत्र क्या है? नक्षत्र किसे कहते हैं? पहले इसके बारे में जान लेते हैं।
आकाश-मंडल में असंख्य तारिकाओ के समूह द्वारा जो विभिन्न प्रकार की आकृति बनता है। उसी आकृति को या तारा के समूह को नक्षत्र कहा जाता है।
ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र होते हैं। जोकि आकाश-मंडल को 27 भागों में विभाजित करते हैं। प्रत्येक भाग का नाम एक-एक नक्षत्र पर रख दिया गया है।
हालांकि इन 27 नक्षत्रों के अलावा एक और नक्षत्र है। जिसका नाम अभिजीत है। यह 28वां नक्षत्र माना गया है। जोकि उत्तराषाढ़ा की अंतिम 15 घटी तथा श्रवण के प्रारंभ की चार घटी को मिलाकर कुल 19 घटी वाला यह नक्षत्र बनता है। लेकिन सामान्यतः एक नक्षत्र 60 घाटी का होता है।
लेकिन अभिजीत नामक नक्षत्र 19 घटी के होने के कारण इसका प्रयोग नहीं किया जाता है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार अभिजीत नामक नक्षत्र सभी कार्यों में शुभ माना गया है।
अब हम 27 नक्षत्रों के नाम को जानेंगे। इसमें हम अभिजित नक्षत्र को शामिल नहीं कर रहे हैं। लेकिन अगले अध्याय में अभिजीत नक्षत्र के स्वामी के बारे में जानेंगे। उसके बाद नक्षत्रों के चरणाक्षर वाले अध्याय – 6 में हम अभिजीत नक्षत्र के स्थान बारे में जानेंगे। कि वह अभिजीत नक्षत्र किस नक्षत्र के बाद आएगा।
ज्यादा जानकारी के लिए नीचे दिए गए सारणी को देखें।
क्रम संख्या | नक्षत्र का नाम |
---|---|
1 | अश्विनी |
2 | भरणी |
3 | कृत्तिका |
4 | रोहणी |
5 | मृगशिरा |
6 | आर्द्रा |
7 | पुनर्वसु |
8 | पुष्प |
9 | अश्लेषा |
10 | मघा |
11 | पूर्वाफाल्गुनी |
12 | उत्तराफाल्गुनी |
13 | हस्त |
14 | चित्रा |
15 | स्वाति |
16 | विशाखा |
17 | अनुराधा |
18 | ज्येष्ठा |
19 | मूल |
20 | पूर्वाषाढ़ा |
21 | उत्तराषाढ़ा |
22 | श्रवण |
23 | धनिष्ठा |
24 | शतभिषा |
25 | पूर्वाभाद्रपद |
26 | उत्तराभाद्रपद |
27 | रेवती |