Vastu shastra home – आज वास्तु के अनुसार घर बनाने के बारे में जानेंगे। अगर आप अपना घर का नक्शा बना रहे हैं। तो उनको आप वास्तु के हिसाब से ही बनाना शुभ फलदाई होता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर (Vastu tips for house)
Basic vastu for home – वास्तु यह एक ऐसा विज्ञान है। जिसके तहत बनाया गया भवन सर्वदा शुभकारी और फलदाई होता है। और उस मकान में रहने वाले व्यक्ति भी सुखी जीवन व्यतीत करते हैं।
जिस प्रकार किसी भी कार्य को करने के लिए सही दिशा का होना अनिवार्य है। तभी वह कार्य सफलता प्राप्त करता है। उसी प्रकार भवन का निर्माण करते समय सभी दिशाओं का ध्यान रखा जाता है।
सभी दिशाओं का अपना एक महत्व होता है। इसलिए वास्तु शास्त्र में इसके अनुसार उन दिशाओं में उपस्थित होने वाले वस्तु का ख्याल रखा जाता है। जिससे आप बहुत ही आसानी के साथ सभी प्रकार के वस्तुओं का उपयोग और उनका ख्याल रख सकते हैं। और उसके साथ ही वह आपके लिए कष्टकारी भी नहीं बनते हैं।
वास्तु शास्त्र को हम ज्योतिष की नजर से देखें तो जो दिशाएं हैं। वह व्यक्ति के जीवन पर अपना असर डालती है। और व्यक्ति के भविष्य को भी निर्धारित करती हैं।
इसलिए वास्तु शास्त्र को वैज्ञानिक और ज्योतिषी दोनों पहलुओं से देखा जाए, तो वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व है।
घर में किस दिशा में क्या होना चाहिए? (Vastu tips for house)
अब हम जानेंगे की वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा कैसे बनाया जाता है। जिससे हमको अपने भवन में सुख और समृद्धि प्राप्त हो।
जब भवन बनाया जाता है, तो उसमें सबसे पहले मुख्य द्वार का अहम भूमिका होता है। इसलिए वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तरमुखी द्वार शुभ माना जाता है। वास्तु दोष से मुक्त उत्तरमुखी भवन में धन वैभव में वृद्धि होता है।
उत्तर दिशा – भवन के उत्तर दिशा में मुख्य द्वार, बरामदा, सीढ़ी, कुआं, जलाशय, जल प्रवाह, देवगृह, भंडार, धन संग्रह, बगीचा, जल स्थान, तहखाना, निची भूमि, निचा मकान, बनाना शुभ माना जाता है।
उत्तर-ईशान कोण – भवन के उत्तर-ईशान दिशा में औषधि संग्रह बनवाना शुभ माना जाता है।
ईशान कोण (पूर्व-उत्तर दिशा) – भवन के ईशान दिशा में कुआं, जलाशय, जल प्रवाह, देवगृह, बगीचा, जल स्थान, तहखाना, निची भूमि, निचा मकान बनवाना शुभ माना जाता है।
पूर्व-ईशान कोण – भवन के पूर्व ईशान दिशा में सर्ववास्तुसंग्रह बनवाना शुभ माना जाता है।
पूर्व दिशा – भवन के पूर्व दिशा में मुख्य द्वार, स्नान गृह, कुआं, जल प्रवाह, तहखाना, बरामदा, निची भूमि, निचा मकान, बागीचा बनवाना शुभ माना जाता है।
पूर्व-आग्नेय कोण – मकान के पूर्व आग्नेय कोण में मंथन-कार्य के लिए बनवाना शुभ होता है।
आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) – भवन के अग्नि कोण में रसोई घर, ऊंची भूमि बनवाना शुभ होता है।
दक्षिण-आग्नेय कोण – भवन के दक्षिण आग्नेय कोण में घृत-स्थान का होना शुभ होता है।
दक्षिण दिशा – मकान के दक्षिण दिशा में शयनगृह, ऊंचा भूमि और ऊंचा मकान होना शुभ होता है।
दक्षिण नैर्ऋत्य कोण – भवन के दक्षिण नैर्ऋत्य कोण में शौचालय का होना शुभ होता है।
नैर्ऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम दिशा) – घर के नैर्ऋत्य कोण में गृह सामग्री, वस्त्र, सूतिका गृह, शौचालय, ऊंची भूमि बनवाना शुभ होता है।
पश्चिम-नैर्ऋत्य कोण – भवन के पश्चिम-नैर्ऋत्य कोण में विद्याभ्यास के लिए शुभ होता है।
पश्चिम दिशा – भवन के पश्चिम दिशा में भोजनगृह, कुआं, सीढ़ी, बगीचा, ऊंची भूमि, ऊंचा मकान का होना शुभ माना जाता है।
पश्चिम-वायव्य कोण – भवन के पश्चिम वायव्य कोण में रोदनगृह का होना शुभ माना जाता है।
वायव्य कोण (पश्चिम-उत्तर दिशा) – भवन के वायव्य कोण में अन्नभंडार, पशुगृह, शौचालय, जल प्रवाह, ऊंची भूमि का होना शुभ होता है।
उत्तर-वायव्य कोण – भवन के उत्तर-वायव्य कोण में रतिगृह के लिए शुभ होता है।
इस तरह आप अपने भवन के निर्माण के लिए नक्शे का निर्माण कर सकते हैं। जो आपके लिए शुभकारी रहेगा।