विवाह एक ऐसा पवित्र बंधन है जिसे हिंदू धर्म में सात जन्मो का बंधन कहां जाता है। इसलिए इसे शास्त्रों में पवित्र और मांगलिक कार्यक्रम माना जाता है। हिंदू धर्म में जो भी पवित्र और मांगलिक कार्यक्रम किया जाता है। तो उसके लिए किसी ज्योति विशेषज्ञ से shubh muhurat और शुभ समय देखा जाता है।
क्योंकि हिंदू धर्म में ऐसी मानता है कि किसी भी शुभ कार्य को शुभ समय, शुभ तिथि और शुभ नक्षत्र में किया जाएं। तो उसका फल शुभ प्राप्त होता है।
इसलिए विवाह जैसे बड़े और पवित्र मांगलिक कार्यक्रम को करने के लिए shubh muhurat का देखा जाना बेहद आवश्यक है।
इसलिए वर्ष इसके लिए shubh vivah muhurat का समय सारणी नीचे दिया गया है। इसमें आपको वर्ष के सभी marriage muhurat के बारे में विस्तार से बताया गया है।
यहां पर सभी मुहूर्त काशी के सूर्योदय के समय अनुसार दिया गया है।
विवाह करने का शुभ मुहूर्त नवंबर 2023
दिनांक | वार |
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24 नवंबर 2023 | शुक्रवार |
27 नवंबर 2023 | सोमवार |
28 नवंबर 2023 | मंगलवार |
29 नवंबर 2023 | बुधवार |
विवाह करने का शुभ मुहूर्त दिसंबर 2023
दिनांक | वार |
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3 दिसंबर 2023 | रविवार |
4 दिसंबर 2023 | सोमवार |
5 दिसंबर 2023 | मंगलवार |
6 दिसंबर 2023 | बुधवार |
7 दिसंबर 2023 | गुरुवार |
8 दिसंबर 2023 | शुक्रवार |
9 दिसंबर 2023 | शनिवार |
13 दिसंबर 2023 | बुधवार |
14 दिसंबर 2023 | गुरुवार |
15 दिसंबर 2023 | शुक्रवार |
16 दिसंबर 2023 | शनिवार |
विवाह मुहूर्त का चुनाव कैसे करें।
विवाह का मुहूर्त सार्वजनिक तौर पर बताना उचित नहीं होगा। क्योंकि विवाह का एक मुहुर्त प्रत्येक व्यक्ति के लिए शुभ नहीं हो सकता है। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के विवाह के समय मुहूर्त का चुनाव करते समय बेहद जटिल प्रक्रिया करनी पड़ती है। उसके बाद एक शुभ मुहूर्त का निर्णय लिया जाता है।
इसलिए सार्वजनिक तौर पर उस प्रक्रिया को नहीं किया जा सकता है। और करने के बाद भी कुछ हासिल होने वाला नहीं है। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति का नक्षत्र और राशि अलग-अलग होता है। इसलिए यहां पर केवल विवाह के तारीख को बतलाया गया है। जिससे आपको विवाह की तारीख के बारे में ज्ञान हो सके।
लेकिन अगर अपने लिए कोई तारीख का निर्णय लेते हैं। तो यह निर्णय केवल ब्राम्हण या ज्योतिषी से ही सलाह लेकर निर्णय लें। अन्यथा वह तारीख आपके लिए शुभ है या अशुभ इसका ज्ञान आपको नहीं हो सकता है।
विवाह मुहूर्त कैसे निकाला जाता है?
विवाह मुहूर्त के लिए सबसे पहले कुंडली से वर और कन्या का गुण मिलान किया जाता है। गुण मिलान सफल होने के बाद जन्म राशि से मुहूर्त का चुनाव किया जाता है। मुहूर्त का चुनाव करने के लिए त्रिबल शुद्धि (सूर्य, चंद्र और गुरु) देखना पड़ता है।
त्रिबल शुद्धि में कन्या के लिए गुरु का बल (शुभ गोचर), व वर के लिए सूर्यबल (शुभ गोचर) और दोनों के लिए चंद्र बल देखा जाता है।
जब त्रिबल शुद्धि जिस तिथि, वार, नक्षत्र और समय के मिलने पर हो जाता है। उसी दिन विवाह का समय रखा जाता है। अर्थात वही विवाह का मुहूर्त कहलाता है।
विवाह कौन से लग्न में करना चाहिए?
विवाह के लिए तुला, मिथुन, कन्या, वृषभ और धनु लग्न अत्यधिक शुभ है। बाकी अन्य लग्न मध्यम माना गया है।
विवाह में अन्धादि लग्न और उसका फल
विवाह के समय लग्न विचार करते समय अन्धादि लग्न पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। क्योंकि यह अति आवश्यक है। यहां पर हम सबसे पहले जानेंगे की अन्धादि लग्न कब होते हैं।
अन्धादि लग्न – दिन में तुला और वृश्चिक, रात्रि में धनु और मकर बधिर हैं। दिन में मेष, वृषभ, सिंह और रात्रि में मिथुन, कर्क, कन्या अंधे संज्ञा लग्न है। दिन में कुंभ और रात्रि में मीन लग्न पंगु है।
कुछ ज्योतिष आचार्यों के मत के अनुसार तुला, वृश्चिक, धनु यह दोपहर बाद के समय में बधिर हैं। मिथुन, कर्क, कन्या यह लग्न रात्रि में अंधे हैं। मेष, वृष, सिंह यह लग्न दिन में अंधे हैं। मकर, कुंभ, मीन यह लग्न प्रातः काल और सायं काल में पंगु (कुबडे) हैं। लेकिन यह मत विशेषतया ऋषिसम्मत नहीं है।
अन्धादि लग्न का फल – यहां पर अन्धादि लग्न का फल दिया जा रहा है। की किस अन्धादि लग्न में क्या फल होता है। इसलिए इसको ध्यान से पढ़ें।
बधिर लग्न – अगर विवाह बधिर लग्न में हो तो वर-कन्या दरिद्र होते हैं।
दिन के अंधे लग्न – दिन के अंधे लग्न में विवाह हो तो कन्या विधवा होती हैं।
रात्रि के अंधे लग्न – रात्रि के अंधे लग्न में विवाह हो तो संतान की मृत्यु होती है।
पंगु लग्न – अगर पंगुल लग्न में विवाह हुआ तो धन नाश होता है।
विवाह के कितने नक्षत्र होते हैं?
विवाह करने के लिए सबसे उत्तम नक्षत्र मूल, अनुराधा, मृगशिरा, रेवती, हस्त, तीनों उत्तरा, स्वाति, मघा और रोहणी नक्षत्र शुभ होता है।
विवाह करने के लिए शुभ माह कौन से हैं?
विवाह करने के लिए सबसे शुभ माह ज्येष्ठ, माघ, फाल्गुन, वैशाख, मार्गशीर्ष और आषाढ़ को माना गया है। इन माह में विवाह करना अत्यंत शुभ होता है।