ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्रों को अच्छी तरह से समझने के लिए प्रत्येक नक्षत्र के चार-चार भाग किए गए हैं। जिसको प्रथम चरण, द्वितीय चरण, तृतीय चरण और चतुर्थ चरण कहा जाता है।
नक्षत्र के प्रत्येक चरण के लिए एक-एक अक्षर निर्धारित किया गया है। जब कोई व्यक्ति जिस नक्षत्र के जिस चरण में जन्म लेता है। तो उस व्यक्ति का नाम उस चरण के अक्षर पर रखा जाता है।
उदाहरण – यदि किसी व्यक्ति का जन्म अश्विनी नक्षत्र के चतुर्थ चरण में हुआ है। तो उस व्यक्ति का नाम अश्विनी नक्षत्र के चतुर्थ चरण के ‘ला’ अक्षर से प्रारंभ होगा। ‘लालजी’, ‘लालू’, ‘लाला‘ इत्यादि।
इस सारणी में सभी नक्षत्र के चरणों के चरणाक्षर दिया गया है।
नक्षत्र का नाम | प्रथम चरण | द्वितीय चरण | तृतीय चरण | चतुर्थ चरण |
---|---|---|---|---|
अश्विनी | चू | चे | चो | ला |
भरणी | ली | लू | ले | लो |
कृत्तिका | आ | ई | ऊ | ए |
रोहणी | ओ | वा | वी | वू |
मृगशिरा | वे | वो | का | की |
आर्द्रा | कू | घ | ड | छ |
पुनर्वसु | के | को | हा | ही |
पुष्प | हू | हे | हो | डा |
अश्लेषा | डी | डू | डे | डो |
मघा | मा | मी | मू | मे |
पूर्वाफाल्गुनी | मो | टा | टी | टू |
उत्तराफाल्गुनी | टे | टो | पा | पी |
हस्त | पू | ष | ण | ठ |
चित्रा | पे | पो | रा | री |
स्वाति | रू | रे | रो | ता |
विशाखा | ती | तू | ते | तो |
अनुराधा | ना | नी | नू | ने |
ज्येष्ठा | नो | या | यी | यू |
मूल | ये | यो | भा | भी |
पूर्वाषाढ़ा | भू | धा | फा | ढा |
उत्तराषाढ़ा | भे | भो | जा | जी |
अभिजीत | जू | जे | जो | खा |
श्रवण | खी | खू | खे | खो |
धनिष्ठा | गा | गी | गू | गे |
शतभिषा | गो | सा | सी | सू |
पूर्वाभाद्रपद | से | सो | दा | दी |
उत्तराभाद्रपद | दू | थ | झ | ञ |
रेवती | दे | दो | चा | चि |