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मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है | मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही क्यों मनाई जाती है | मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त क्या है?

आज हम इस पोस्ट में मकर संक्रांति से संबंधित सभी बातों को जानेंगे। की मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है? मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है? मकर संक्रांति का पर्व सभी प्रदेशों में कैसे मनाया जाता है? मकर संक्रांति के दिन किस देवता का पूजा होता है? मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है? मकर संक्रांति का महत्व क्या है? मकर संक्रांति कैसे मनाया जाता है? आदि आदि सभी विषयों पर आज हम चर्चा करने वाले हैं।

इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप मकर संक्रांति के बारे में पूरी तरह से जान जाएंगे। कि मकर संक्रांति का महत्व, मकर संक्रांति क्या है? तो चलिए आज हम मकर संक्रांति के बारे में विस्तार से जान लेते हैं।

मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है?

हमारे हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का बेहद खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि, दिव्य सूर्य स्वयं अपने पुत्र शनि के घर आते हैं, और शनि मकर राशि के स्वामी हैं। इसलिए आज इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। आज पवित्र गंगा नदी भी धरती पर अवतरित हुई है, इसलिए मकर संक्रांति का पर्व भी मनाया जाता है।

मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही क्यों मनाई जाती है?

मकर संक्रांति एक ऐसा त्यौहार है। जो कि कभी भी नहीं बदलता है। भले ही तिथियों का छाए हो जाए, अधिक मास हो या मलमास हो लेकिन मकर संक्रांति 14 जनवरी तारीख को ही होती है।

इस दिन भगवान सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। और यह 6 मास उत्तरायण ही रहते हैं। इन छह मास में सूर्य मकर राशि से लेकर मिथुन राशि तक संचरण करेंगे।

उसके बाद वहां कर्क राशि से लेकर धनु राशि तक दक्षिणायन होकर संचरण करेंगे। इसीलिए यह एक निश्चित समय होता है। जिसमें सूर्य 14 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसलिए प्रत्येक 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाया जाता है।

हालांकि 14 जनवरी को यह सूर्य का मकर राशि में प्रवेश कभी रात में भी होता है। इसलिए 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।

मकर संक्रांति के दिन किसकी पूजा की जाती है?

मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। इस दिन गंगा में स्नान करके दान करना श्रेष्ठ माना जाता है। इससे पुण्य की प्राप्ति होता है।

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त क्या है?

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त इस वर्ष 14 और 15 जनवरी को बन रहा है। क्योंकि कुछ पंचांगों में 14 जनवरी में ही दोपहर के समय सूर्य का राशि परिवर्तन हो जा रहा है। और वही कुछ पंचांगों में रात्रि का समय दिया गया है। इसलिए जिस स्थान पर सूर्य सूर्यस्त से पहले ही राशि परिवर्तन कर लेंगे। उस स्थान पर मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही मनाया जाएगा। और जिस स्थान पर सूर्य रात्रि में राशि परिवर्तन करेंगे। उस स्थान पर 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा।

मकर संक्रांति का महत्व क्या है?

मकर संक्रांति को बेहद खास माना जाता है। क्योंकि माना जाता है कि, इस दिन गंगा स्नान करने के बाद दान करने से पापों का नाश होता है। अगर इस दिन कोई व्यक्ति अपना शरीर त्याग देता है। तो वह व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होता है। मकर संक्रांति के दिन शनिदेव का भी पूजा दीपक जलाकर किया जाता है। माना जाता है कि, व्यक्ति की जो भी अभिलाषा में होती हैं वह सभी पूर्ण हो जाती हैं।

मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है?

यहां पर हम भारत के कुछ प्रमुख राज्यों के बारे में विस्तार से जानेंगे। कि उन राज्यों में मकर संक्रांति का पर्व कैसे मनाया जाता है। जिससे आपको भारत के कुछ प्रमुख राज्यों के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके। कि मकर संक्रांति का पर्व सभी राज्यों में कैसे मनाया जाता है।

हरियाणा और पंजाब में मकर संक्रांति को क्या कहते हैं?

हरियाणा और पंजाब में मकर संक्रांति को लोहड़ी के रूप में जाना जाता है। अगर आप लोहड़ी के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो आप हमारे यह पोस्ट को देख सकते हैं।

हरियाणा और पंजाब में मकर संक्रांति कैसे बनाई जाती है?

इन राज्यों में मकर संक्रांति 13 जनवरी को लोहड़ी के रूप में मनाई जाती है। इस दिन सूर्यास्त होने के बाद अग्निदेव की पूजा करके तिल, चावल, गुड और भुने हुए मकई का आहुति दिया जाता है। दुल्हनें घर-घर जाती हैं और लोकगीत गाती हैं। और उनमें मूंगफली और तिल बांटे जाते हैं। ऐसे में लोग मक्के की रोटी और सरसों के साग का लुत्फ उठाते हैं।

तमिलनाडु में मकर संक्रांति को क्या कहा जाता है?

तमिलनाडु में मकर संक्रांति को पोंगल के रूप में जाना जाता है। पोंगल को 4 दिनों तक मनाया जाता है।

तमिलनाडु में पोंगल कैसे मनाया जाता है?

यह त्योहार चार दिनों तक तमिलनाडु के पोंगल के रूप में मनाया जाता है। पहले दिन कूड़ाकरकट एकत्र कर जलाया जाता है। दूसरे दिन लक्ष्मी मां का पूजा किया जाता है। और तीसरे दिन पशु धन की पूजा किया जाता है। पोंगल मनाने के लिए स्वच्छ होकर मिट्टी के बर्तनों में खीर तैयार की जाती है। इसके बाद नैवेद्य को सूर्य देव को अर्पित किया जाता है। आज वर-वधू का विशेष स्वागत किया जाता है।

राजस्थान में मकर संक्रांति कैसे मनाया जाता है?

मकर संक्रांति के दिन विवाहित महिलाएं अपनी सास को कुछ उपहार देते हैं। और उनसे आशीर्वाद लेती हैं। समूह बनाकर महिलाएं 14 की संख्या में पूजा करने के बाद किसी भी ब्राह्मण को दान देती हैं।

उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति कैसे मनाया जाता है?

उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने का रिवाज है। इस दिन लोग अपने घरों पर खिचड़ी बनाते हैं। मुरमुरा और चुरा के साथ तिलकुट आदि भी खाते हैं। और खिचड़ी का दान भी करते हैं।

बिहार में मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है?

बिहार में भी उत्तर प्रदेश की तरह खिचड़ी बनाई जाती है। यहां पर भी खिचड़ी बनाकर खाया जाता है। और खिचड़ी का दान किया जाता है। इस दिन मुरमुरा के साथ उड़द, चावल, ऊनी वस्त्र, कंबल आदि का भी दान करते हैं।

महाराष्ट्र में मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है?

महाराष्ट्र में मकर संक्रांति के दिन नववधू महिलाएं नमक, तेल, कपास आदि चीजों का सुहागन स्त्रियों को दान के रूप में देती है। और वही हलवा, नमक, तिल गुड़ आदि भी बांटा जाता है।

बंगाल में मकर संक्रांति कैसे मनाया जाता है?

बंगाल में मकर संक्रांति के दिन गंगासागर स्नान करने के लिए मेला लगता है। मकर संक्रांति पर स्नान करके तिल का दान करने की वहां पर प्रथा है। यह भी माना जाता है कि यशोदा ने कृष्ण को प्राप्त करने के लिए व्रत किया था। इसलिए अनेकों कष्ट उठाकर भी गंगासागर का यात्रा लोग तय करते हैं।

मकर संक्रांति के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

अब हम बात करने जा रहे हैं। कि मकर संक्रांति के दिन क्या नहीं करना चाहिए। तो चलिए इसके बारे में भी विस्तार से जान लेते हैं। कि मकर संक्रांति के दिन क्या-क्या नहीं किया जाता है।

• मकर संक्रांति के दिन स्नान दान करने के बाद ही भोजन करना चाहिए। इससे पहले भोजन ना करें।
• मकर संक्रांति के दिन मांस, शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
• मकर संक्रांति के दिन घर पर आए हुए किसी भी भिखारी को खाली हाथ वापस ना जाने दे।

मकर संक्रांति के दिन क्या करना चाहिए?

अब हम जान लेते हैं, कि मकर संक्रांति के दिन हमें क्या करना चाहिए। जिससे मकर संक्रांति का पुण्य हमें प्राप्त हो सके।

• मकर संक्रांति के दिन प्रातः काल उठकर नदी में स्नान करें। अगर नदी में स्नान करना संभव ना हो तब अपने घर पर ही पानी में काला तिल डालकर स्नान करें।
• मकर संक्रांति के दिन स्नान करने के बाद ब्राह्मणों को दान करें।
• मकर संक्रांति के दिन काले तिल का दान करना शुभ माना जाता है। क्योंकि काले तिल के दान से शनि देव का प्रभाव कम होता है।
• मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी और तिलकुट खाया जाता है। इसलिए इसको अवश्य खाना चाहिए।
• मकर संक्रांति के दिन पानी में तिल मिलाकर पीना चाहिए और तिल का बना हुआ लड्डू का भी सेवन करना चाहिए।

मकर संक्रांति कौन से राज्य में मनाया जाता है?

मकर संक्रांति का पर्व भारत के लगभग सभी राज्यों में अनेकों नाम से मनाया जाता है। यह एक बेहद प्रचलित पर्व है। जिसका अलग अलग नाम है। और अलग अलग नाम के कारण इसकी अलग अलग महत्व भी हैं। और सभी राज्यों में किसी न किसी रूप में इसे मनाया जाता है।

आपके घर पर मकर संक्रांति का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

भारत के सभी राज्यों में अलग-अलग नामों से अलग-अलग तरीकों से मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इसमें विभिन्न तरीके आपको ऊपर भी बतलाए गए हैं। जिससे आप कुछ राज्यों के बारे में जान सकते हैं। कि कौन से राज्य में किस तरह से मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।

उत्तरांचल में मकर संक्रांति को किस नाम से जाना जाता है?

उत्तरांचल में मकर संक्रांति का पर्व को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे – मकरैणी (मकरैंण), उत्तरायणी, गिंदी कौथिग, खिचड़ी संगरांद आदि। जबकि जौनसार में मरोज त्योहार और कुमाऊं में घुघुतिया के रूप में मनाया जाता है।

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