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रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त कब है 2024 | रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त कितने बजे से है | रक्षाबंधन कब है

आज हम रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त के बारे में जानेंगे कि रक्षाबंधन कब है या रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त कितने बजे से है। क्योंकि शुभ मुहूर्त में ही राखी को बांधना चाहिए। इसलिए शुभ मुहूर्त का देखा जाना अति आवश्यक है। इसलिए यहां पर रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से बताया गया है। जिससे आप रक्षाबंधन का शुभ समय जान सकते हैं।

रक्षाबन्धन का त्योहार कब मनाया जाता है।

रक्षाबन्धन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन को एक दूसरे के स्नेह की डोर में बांधता है। और इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर उसके हाथों में राखी बांधती है। और एक दूसरे को मिठाई खिलाते है।

राखी को रक्षासूत्र भी माना जाता है। जो बहन अपने भाई को बांधती है। बहन राखी बांधते समय अपने भाई की उन्नति विकास और सुरक्षा की कामना करती है। तो भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा करने का वचन देता है।

रक्षाबंधन के दिन भाई अपने बहन को राखी के बदले कुछ उपहार देते है। रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है। जो भाई बहन के प्यार को और मजबूत बनाता है।

यह परंपरा आज से ही नहीं बल्कि प्राचीन काल से चली आ रही है। महाभारत में श्री कृष्ण जी को एक बार हाथ में चोट लग गई थी। तब द्रोपदी ने अपने साड़ी का पल्लू फाड़ कर उनके हाथों में बांध दिया था। तब श्री कृष्ण जी ने उन्हें उनकी जीवन भर रक्षा करने का वचन दिया था। और उनकी रक्षा की भी थी।

राखी बांधते समय पढ़े जाने वाला मंत्र क्या है?

येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ॥

इसका अर्थ यह है कि “जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बाँधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बाँधता हूँ। हे रक्षे ! तुम अडिग रहना (तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न हो।)”

यह मंत्र पंडित भी अपने यजमान को रक्षा बनते समय बोलते हैं।

यह मंत्र तब भी बोला गया था जब देवताओं और असुरों के बीच 12 वर्षों तक युद्ध हुआ था। और यह निश्चित हो गया था, कि अब असुर जीत जाएंगे। और असुरों के राजा बलि ने अपने आप को तीनों लोकों का स्वामी घोषित कर लिया था। तब देवताओं के राजा इंद्र भागे भागे गुरु बृहस्पति की शरण में गए, और उनसे अपनी रक्षा की प्रार्थना की।

तब गुरु बृहस्पति ने उनकी सहायता करने के लिए श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षा विधी संपूर्ण की।

इस विधान में गुरु बृहस्पति ने इसी मंत्र का पाठ किया।इसके साथ ही इंद्र और उनकी पत्नी ने इसे दोहराया।

फिर इंद्रायणी ने रक्षा सूत्र में ब्राह्मणों से शक्ति का संचार कराया और फिर उस रक्षा सूत्र को इंद्र के दाहिने हाथ पर बांधा। तब इस रक्षा सूत्र की शक्तियो से इंद्र ने असुरों को परास्त किया और अपना खोया हुआ राज्य वापस पाया।

राखी बनाने के लिए कच्चे सूत, सितारे, रंग बिरंगी वस्तुएं

रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहग वस्तुओ का भी उपयोग करते है।

कभी भी राखी हमें भद्रा काल में नही बांधनी चाहिए।

क्योंकि मान्यता यह है कि रावण की बहन सुर्पनखा ने भद्रा काल में ही उसे राखी बांधी थी। जिससे उसका नाश हो गया।

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यह article केवल जानकारी purpose के लिए बनाया गया है। इसलिए किसी भी चीज का इस्तेमाल करने से पहले विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें। यह आपकी जिम्मेदारी है।

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